लेखनी प्रतियोगिता -25-Dec-2022 नानी के गांव का गिरजाघर
राजू के गांव से थोड़ा ही दूर रेल चलती जाती थी। राजू के पिताजी की गांव के बाहर एक छोटी सी सड़क के किनारे पेड़ के नीचे साइकिल ठीक करने की दुकान थी।
राजू गांव के विद्यालय में तीसरी कक्षा में पढ़ता था। स्कूल से आने के बाद खाना खाकर वह अपने पिताजी की साइकिल की दुकान पर चला जाता था।
वहां अपने स्कूल का होमवर्क पिताजी से पूछ पूछ कर करता था। और शाम तक दुकान के आस पास ही खेलता रहता था।
राजू आज तक रेल में नहीं बैठा था इसलिए जब भी वहां से रेल आती जाती थी तो वह उसे बहुत खुश होकर देखता था। और बार-बार पिताजी से रेल के सफर के बारे में नए-नए सवाल करता था। जब भी राजू के पिताजी किसी रिश्तेदारी में जाते थे तो बस अड्डे से बस पकड़ कर ही जाते थे।
एक दिन राजू के पिताजी राजू और अपनी पत्नी से कहते हैं कि "कल हम राजू की नानी के घर रेल से जाएंगे।"
राजू जब दूसरे दिन रेलवे स्टेशन पर माता-पिता के साथ पहुंचता है तो वहां रेल की स्पीड से जब स्टेशन की बेंच और पटरी हिलती है तो वह डर कर अपनी मां से लिपट जाता है। रेल के डिब्बे में राजू खिड़की वाली सीट की तरफ बैठता है, जब रेल घूम कर उसकी दुकान की तरफ से निकलती है तो मां और पिताजी को खुशी से बताता है।
माता-पिता से बात करते-करते दो ढाई घंटे के बाद नानी के गांव का रेलवे स्टेशन आ जाता है। राजू के पिताजी रेलवे स्टेशन के बाहर से तांगे में बैठकर राजू और उसकी मां के साथ नानी के घर पहुंच जाते हैं।
तांगेवाला गांव के गिरजाघर के पास राजू और उसके माता-पिता को उतार देता है। चर्च की रंग बिरंगी लाइट देखकर और स्टेज पर यीशु मसीह की प्रार्थना सुनकर राजू वहीं रुक जाता है लेकिन राजू के माता-पिता नानी के घर पहुंच जाते हैं। स्टेज पर खड़ा होकर एक व्यक्ति बार-बार तेज तेज कह रहा था कि बच्चों अभी सांता आएंगे और तुम्हें उपहार बाटेंगे।
राजू की नजर स्टेज के कोने पर जाती है तो वहां एक लंबा सुंदर सफेद कपड़ो में एक व्यक्ति जिसकी भूरे रंग की दाढ़ी और लंबे लंबे बाल थे। उसके हाथ में एक भेड़ का छोटा बच्चा था वह भेड़ के बच्चे के सर पर प्यार से हाथ फेर रहा था और राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था।
दिसंबर की ठंड में राजू ठंड से ठिठुर रहा था। लेकिन उसे वहां यीशु मसीह की प्रार्थना बहुत अच्छी लग रही थी, और वह सांता क्लॉज़ को देखना भी चाहता था ।राजू बार-बार ठंड से कांप कांप कर जल्दी से नानी के घर जाकर गरम रजाई में छुपने की भी सोच रहा था।
जब सारी भीड़ वहां हालेलुया हालेलुया हालेलुया कहकर जय मसीह की बोलती है, तो राजू भी बार-बार हालेलुया हालेलुया उनके साथ कहता है।
राजू की नजर जब भी उस सफेद कपड़ों में खड़े व्यक्ति की तरफ जाती थी तो राजू की ठंड भाग जाती थी और उसे अंदर से एक शक्ति महसूस होती थी। उस मनुष्य को देखकर राजू को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके पैर जैसे जमीन से चिपक गई हो। और उसकी ठंड भी कोसों दूर हो गई।
राजू की नानी और मां ढूंढते हुए गिरजाघर के पास पहुंचते हैं और राजू को समझा-बुझाकर घर ले आते हैं। राजू की नानी राजू को अपने पास रजाई में छुपा लेती है और राजू की मां से बातें करती रहती है।
राजू मन मन दुखी हो रहा था कि मैं गिरजाघर के प्रोग्राम को क्यों बीच में ही छोड़ कर आ गया। अब मैं सांता क्लॉस को सिर्फ किताबें और टीवी में ही देख पाऊंगा आज सामने देखने का मौका मैंने गवा दिया।
यह सब बातें सोचते सोचते राजू की आत्मा बहुत दुखी हो जाती है, दुखी होकर राजू सो जाता है। राजू की नानी जब राजू के सर पर हाथ फेरती है तो उसका माथा आग तरह तप रहा था।
राजू की नानी और राजू के माता-पिता उसी समय राजू को भागकर डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं। डॉक्टर की दुकान गिरजाघर के सामने ही थी। डॉक्टर जब राजू को चेक करता है तो राजू बिल्कुल नॉर्मल था।
उसी समय सांता क्लॉस डॉक्टर की दुकान में आकर अपने थैले से बहुत से उपहार निकालकर राजू को प्यार करके देते हैं। और फिर वहां से गिरजाघर के मैदान के पास वाली भीड़ में कहीं गायब हो जाती है।
राजू सारे खिलौने इकट्ठे करके डॉक्टर की दुकान से भागकर गिरजा घर के सामने वाले मैदान की भीड़ में जाकर स्टेज पर खड़े उस सफेद रंग के कपड़े और लंबी दाढ़ी वाले मनुष्य को हंस-हंसकर अपने खिलौने राजू दिखाता है।
राजू के पीछे पीछे उसी ही जगह पर राजू की नानी राजू के माता पिता आ जाते हैं। और राजू को हंस-हंसकर खिलौने स्टेट की तरफ दिखाते हुए समझ जाते हैं कि आज राजू को यीशु मसीह के दर्शन हो गए। राजू की वजह से राजू के माता-पिता और नानी को भी वहां यीशु मसीह के होने का एहसास हो जाता है।
आँचल सोनी 'हिया'
05-Jan-2023 04:47 PM
Good
Reply
प्रिशा
27-Dec-2022 08:53 PM
Nice
Reply
Parangat Mourya
27-Dec-2022 03:12 PM
Behtreen 🙏🌸
Reply